Monday 9 March 2015

कोई भी जाति अपनी-कौम का भौगोलिक विस्तार और भीतरी भिन्नता कैसे मैनेज करे!

ब्राह्मण-बनियों से सीख के करे| दोनों ही जातियां देश की 3 से 5% हैं, परन्तु फैली हुई हैं पूरे भारत में और फिर भी कभी भी इनके यहां यह सुनने को नहीं मिलता कि भाई क्या करें हमारा तो फैलाव ही इतना ज्यादा हो रखा है कि कोई भी क्षेत्रवाद के नाम पे ही भिड़ा जाता है| क्षेत्रवाद के नाम पर कैसे, कि यह यू. पी. का ब्राह्मण, यह हरयाणा का, तो यह तमिलनाडु का| क्या कभी सुना है ब्राह्मण-बनिया को ऐसे चिंता व्यक्त करते हुए या इस बात की बोर/बखान मारते हुए?

हाँ, जाटों को जरूर सुना है; जो इनकी तरह पूरे भारत में नहीं बल्कि सिर्फ उत्तरी-भारत में ही ज्यादा घनत्व के साथ रहते हैं; परन्तु ब्राह्मण-बनिया जहां पूरे भारत में इनके फैलाव को मैनेज कर लेते हैं और कभी क्षेत्रवाद के नाम पर आपस में नहीं बंटते, वहीँ जाट यह तो औरों के बांटने से पहले खुद ही बोर मारते मिलेंगे|

क्या बोर, कि "के करां भाई म्हारा तो फैलाव ए इतना घणा सै, अक सम्भालना मुश्किल हो रखा!" या ऐसी ही दूसरी खुद को गुमराह करने की बातें| जबकि समस्या यह है कि जाट जाति इस बात को ले के ब्राह्मण-बनियों की तरह सीरियस ही नहीं है कि उनको देश-समाज-राज्य पे राज करना है| और यहीं समस्या पैदा हो रही है, जिस दिन जाट इस बात को सीरियसली लेना शुरू कर देगा; उस दिन यह बांगर का, यह बागड़ का, यह पंजाब का, यह खादर का, यह यमुना के इस या उस पार का, यह ब्रज का, यह दिल्ली का जाट, यह सिख जाट, यह हिन्दू जाट, यह मुस्लिम जाट की जगह, सब एक भाषा बोलेंगे|

हाँ इस धर्म वाले पॉइंट पे चौंकना मत, क्योंकि क्या ब्राह्मण-बनिए मुस्लिम नहीं? मुहम्मद अली जिन्ना बनिया था, नवाज शरीफ कश्मीरी ब्राह्मण, कश्मीर की अब्दुल्ला से ले मुफ़्ती फैमिली सब ब्राह्मण| तो यह कैसे बिना विवाद के रह लेते हैं जो एक हिन्दू या सिख जाट को मुस्लिम जाट नहीं भाता| यानी क्षेत्र के साथ-साथ धर्म के नाम पर भी बाँट| निसंदेह जाटों को इसपे सोचना चाहिए, और धर्म या क्षेत्र के आधार पर कोई भिन्नता या विवाद है तो उसको न्यूनतम साझा विचारों और आचारों के तहत सुलझाना चाहिए और इन आधार पर अगर एक दुसरे में कोई भिन्नता भी है तो उसको अपने में जगह देनी चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे ब्राह्मण-बनिया कर रहे हैं| वरना कहने को तो द्रविड़ ब्राह्मण और उत्तर-भारतीय ब्राह्मण में क्या कम विवाद हैं, परन्तु ऐसे मैनेज करके रखे हुए हैं अपने भीतरी विवादों को कि पूरे देश पे राज करते हैं|

इसलिए युवा जाट से अपील है कि कृपया जब आप कॉलेज-स्कूल-शहर-मंडी-मंदिर-धर्मस्थल जाएँ तो देखें कि यह लोग पूरे भारत में फैले होने के बावजूद भी किन वजहों से आपस में एक रहते हैं|

जाट-ब्राह्मण-बनिया तो एक उदहारण था, यह सन्देश है हर जाति-कौम के लिए| - फूल मलिक

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