Monday 9 March 2015

भारत की गोल बिंदी वाली महिलाओं से याचना!

1) हरियाणा में विधवा विवाह होता है, जबकि जिन राज्यों से आप आती हैं वहाँ विधवाएं पतियों की सम्पत्ति से बेदखल कर विधवा आश्रमों में भेजी जाती हैं|

2) हरियाणा में देवदासी प्रथा नहीं है, जबकि जिन राज्यों से आप आती हैं वहाँ आज कानून बनने के बावजूद भी मंदिरों में देवदासियां पाली जा रही हैं; बेशक सबूत के लिए गूगल करके देख लेवें|

3) हरियाणा में सती-प्रथा नहीं पाई जाती, जबकि जिन राज्यों से आप आती हैं, उनके देहात में आज भी औरतों के सति होने के किस्से सामने आते हैं|

4) बेशक हरियाणा में आज दुल्हन खरीदने का नया रिवाज आ गया हो, परन्तु खरीदी हुई दुल्हनें होती वहीँ हैं, जिनको आपके पीछे के राज्यों के माँ-बाप बेचते हैं| तो आप सीधा समस्या की जड़ यानी आपके राज्यों पे हमला करने की बजाय उस हरियाणा पे हमला करती हैं कि जो एक पल को बहुएं खरीद के लानी बंद भी कर दे तो, वो लड़कियां यहां किसी के घर की बहु बनने की बजाय, मुंबई-हैदराबाद-दुबई के देह-व्यापार मंडियों में बिकेंगी| यहां कम से कम किसी के घर की बहु तो बन रही हैं, हालाँकि जिसको भी इस तरह के ब्याह करने हों, वो दुल्हन को ब्याह के लावें, खरीद के नहीं| परन्तु हरियाणा वाले ब्याह के लाने को तैयार भी हो जावें, पर आपके राज्यों के उन माँ-बापों को कैसे तैयार करोगी जो लड़की बेचते ही पैसे के लिए हैं? फिर वो बेचारी चाहे किसी के घर की बहु बने या किसी देह-व्यापार में जावे|

5) लिंगनुपात दर की सुधार में शीर्ष राज्यों में होने पर भी, आप लोग हरियाणा से अपनी कृपया दृष्टि नहीं हटाती?

6) पंजाब-चंडीगढ़-दिल्ली व् पूर्वी यू. पी., बिहार में सबसे ज्यादा हॉनर किलिंग होने पर भी, आपका हरियाणा नाम के शब्द में ऐसा क्या अटका हुआ है कि घूम-फिर के आपका हिया इसी से चिपकता है?

7) देश के शहरों में कन्याभ्रूण हत्या ज्यादा होने पर भी (एन. सी. आर. में तो आपके राज्यों से आये विस्थापित लोगों का भी बड़ा भाग होता है), आपको हरियाणा के गाँव ही इस मुद्दे पर बोलने हेतु ज्यादा पसंद क्यों हैं? और राज्यों की बात आये तो फिर तो हरियाणा के अलावा आपको कुछ दीखता ही नहीं|

8) देश के 99% मंदिरों के चबूतरों-चौकों-गर्भगृहों में महिला पुजारन नहीं है वो तो आपको दिखती नहीं, फिर आपको यह हरियाणा की खापों के चबूतरों पे कितनी महिलाएं हैं अथवा नहीं हैं, यह कैसे दिख जाती हैं?

9) हरियाणा में महादलित नहीं होने पर भी, आप हरियाणा को ऐसे क्यों दिखाती हो कि यहां ही दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार होते हैं? गरीब-अमीर का सबसे कम अनुपात है हरियाणा में, फिर भी आपको सबसे पीड़ित (वो भी जाटों के सताए हुए बता के बताती हो) आपको हरियाणा में ही क्यों दीखते हैं? जबकि आपके राज्यों में तो महादलित भी हैं, यानी दलितों से भी नीचे एक और केटेगरी महादलित?

10) हरियाणा में 95% दलित-जाट के झगडे कारोबारी होते हैं, जबकि पूरे देश में 95% दलित-स्वर्ण के झगड़े धर्म की वजह से दलितों से होने वाले भेदभाव जैसे कि किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं तो किसी को उच्च-वर्ग के साथ बैठ के खाना खाने का अधिकार नहीं, आदि की वजह से होते हैं| और इनमें आप जिन राज्यों से आती हैं, वहाँ सबसे ज्यादा होते हैं; परन्तु फिर भी किसी जाट-दलित के मुद्दे को आपको ज्यादा उछलना क्यों भाता है? आपको पता है जाट और दलित जब खेतों में काम करते हैं तो एक साथ बैठ के और बहुत बार तो एक बर्तन में खाना खाते हैं, यह चीजें क्यों नहीं दिखती आपको हरियाणा के दलित और जाटों की? आपको पता है धर्म के नाम पे भेदभाव के मामले में हरियाणा सबसे नीचले स्तर के राज्यों में है?

हरियाणा से इतना लगाव है और हरियाणा को इतना सुधारना चाहती हो तो यह जहर उगलना बंद करो और पहले हरियाणा की पॉजिटिव चीजों को सराहने का माद्दा रखो|

यह पोस्ट रंजना कुमारी, एडवोकेट कीर्ति, कविता कृष्णमूर्ति, किरण खेर, जगमती सांगवान जैसी तमाम गोल-बिंदी वाली व् बड़ी सिद्दत से इन मामलों में हरियाणा पे जहर उगलने वाली अंजना ओम कश्यप, नगमा सहर, कादम्बिनी शर्मा जैसी तमाम लम्बे टीके वाली टीवी एंकर तक सम्मान पहुंचें| ऐसा करने में सहायता करने वाले का कोटि-कोटि धन्यवाद| - फूल मलिक

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