Tuesday 9 June 2015

सभ्रांत भाषा सिखाने का अंग्रेजी स्लेव सिंड्रोम!

ये आजकल की माएं जब अपने बच्चों को 'आप-आप' करके बोलती हैं तो बड़ा नकलीपन लगता है, ना कोई घर-प्यार की फीलिंग आती| ऐसा लगता है कि बच्चा कहीं नर्सरी में पल रहा हो|

असली प्यार तो वो होता था जब माँ की एक बात का रेस्पोंस ना दो तो लखानी की हवाई चप्पल सर-सर करती हुई झन्न से सीधी मुंह या पीठ पे आ के लगती थी|

वो होता था असली सॉलिड वाला प्यार| सीधी ताबड़-तोड़ भाषा, ना कोई लाग ना कोई लपेट; और हम झट से रेस्पोंस देते थे|

परन्तु आज वाले को तो ऐसा गूगा बना देते हैं कि बच्चे के मुंह हमेशा फूले हुए गुब्बारे बने रहते हैं| एक दम प्रतिक्रियाहीन बोरिंग चेहरे, ना कोई हंसी ना खिलखिलाहट|

सच भी है कोई तो रिश्ता ऐसा भी होना चाहिए जिसमें कोई फॉर्मेलिटी ना हो| परन्तु लगता है ये आधुनिकता के भूत माँ के रिश्ते को भी बोरिंग बना के छोड़ेंगे|

Even in France, no one uses 'vous' (आप) in personal, familiale, known relations and among friends, it is 'tu' (तू), 'toi' (तुम), 'ton' (तेरा) 'tes' (तुम्हारा). Vous is used in case of professionals or strangers only. And even then French language is called and known as the best cultural language worldwide.

लेकिन यही तू-तड़ाक जब हमारी हिंदी में उतरता है तो पता नहीं कैसे असभ्य हो जाता है और वो भी औरों से पहले खुद हिंदी ही बोलने वालों के लिए| लगता है अंग्रेजी गुलामी का मॉडर्न-कीड़ा नामक सिंड्रोम इतनी आसानी से निकलने वाला नहीं हमारे में से|

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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